सरगी

सरगी भोजन की एक थाली को कहा जाता है जिसे सास अपनी बहू को देती है, बहू सरगी को प्रसाद समझ ग्रहण करने के बाद ही करवा चौथ का व्रत रखती है। यदि घर में सास नहीं है तो जेठानी या बड़ी ननद या कोई भी बुजुर्ग महिला इसे देती है। सरगी खाने की खास वजह है कि पूरा दिन व्रत के दौरान शरीर में ताजगी एवं स्‍फूर्ती बनी रहे।

 

सरगी में फल, मिठाइयां, सूखे मेवे, नारियल, पूरी या परांठे, कढ़ी और एक गिलास जूस या नारियल का पानी शामिल किया जाता है। फल शीघ्र पाचक होने के साथ-साथ कम समय में जरूरी पोषण और ऊर्जा प्रदान करते हैं। इसलिए सरगी में फलों को शामिल किया जाना चाहिए।

 

सभी पर्व/त्‍यौहारों में परंपराओं का अत्‍यधिक महत्‍व होता है, सरगी भी एक परंपरा है, जो करवा चौथ व्रत के दिन सूर्योदय से पूर्व ग्रहण कर व्रत प्रारंभ किया जाता है।


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